उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) प्रारंभिक परीक्षा पास करने के लिए ऐसे तैयारी करें।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) हर साल प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) परीक्षा आयोजित करता है। यह परीक्षा प्रदेश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। यह परीक्षा सिर्फ अभ्यर्थियों के ज्ञान और व्यक्तित्व का ही नहीं बल्कि उनके धैर्य, साहस और जुझारूपन का भी परीक्षण करती है। यह तीन चरणों में आयोजित की जाती है। इस वर्ष प्रारंभिक परीक्षा 12 अक्तूबर को आयोजित होगी। परीक्षा की बेहतर रणनीति और पुख्ता समय प्रबंधन से मुख्य परीक्षा के द्वार तक पहुंचा जा सकता है। सामान्य अध्ययन (जीएस) पर अपनी पकड़ मजबूत बनाकर अभ्यर्थी इस परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
विषयवार करें परीक्षा की तैयारी
प्रारंभिक परीक्षा को क्लियर करने के लिए उसका पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न सही से समझना आवश्यक होता है। यह आपके सफलता के राह को आसान कर देती है, क्योंकि इससे यह पता चल जाता है कि आपको क्या पढ़ना है और कितना पढ़ना है। प्रत्येक विषय की तैयारी के लिए विशिष्ट रणनीतियों की आवश्यकता होती है। विषयवार तैयारी की युक्तियां नीचे दी गई हैं…
सामान्य अध्ययन-1 परीक्षा में इस विषय का उद्देश्य उम्मीदवारों के सामान्य अध्ययन का परीक्षण करना होता है। यह प्रश्न पत्र 200 अंक का होता है, जिसमें 100 प्रश्न होंगे। इसके लिए समसामयिक घटनाक्रम, इतिहास, भूगोल, भारतीय राजनीति, पर्यावरण और पारिस्थितिकी, कला एवं संस्कृति, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र एवं सामाजिक विकास, सरकारी योजनाओं और हालिया घटनाक्रमों पर ध्यान दें।
सामान्य अध्ययन-2 (सी सैट) यह प्रश्न पत्र भी प्रारंभिक परीक्षा का हिस्सा है। यह प्रश्न पत्र आपकी योग्यता, तार्किक तर्क, समझ और निर्णय लेने के कौशल का आकलन करने पर केंद्रित है। यह पेपर 200 अंक का होता है, जिसमें 100 प्रश्न पूछे जाएंगे। इस प्रश्न पत्र में न्यूनतम 33 अंक प्राप्त करना अनिवार्य है।
ये टिप्स भी अपनाएं
अध्ययन योजना बनाएं छह माह को साप्ताहिक और दैनिक कार्यक्रम में विभाजित करें। प्रत्येक विषय और पुनरीक्षण के लिए समय स्लॉट आवंटित करें। अपनी तैयारी को अधिकतम करने के लिए उच्च महत्व वाले विषयों पर ध्यान केंद्रित करें। पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से समझें और प्रमुख विषयों की पहचान करें।
नोट्स बनाएं बिना उचित नोट्स बनाए सिलेबस को गुणवत्ता के साथ कवर नहीं किया जा सकता है। नोट्स एक उचित प्रारूप में बनाए जाने चाहिए ताकि उम्मीदवारों के लिए इसे याद रखना और पुन प्रस्तुत करना आसान हो। नोट्स बहुत भारी नहीं होने चाहिए, इसलिए नोट्स का उद्देश्य हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।
नियमित रिवीजन करें प्रीलिम्स का सिलेबस काफी बड़ा और बिखरा होता है। कवरेज से अधिक महत्वपूर्ण संपूर्ण सिलेबस को रिवाइज करना है, इसलिए रिवीजन उचित और समयबद्ध होना चाहिए। सिलेबस के कवरेज और कवर किए गए हिस्से के रिवीजन में एक अच्छा संतुलन बना होना चाहिए। रिवीजन करने से अभ्यर्थी भूले हुए टॉपिक्स को भी याद कर लेते हैं और तैयारी औरों से बेहतर कर लेते हैं।
पिछले वर्षों के पेपर की मदद लें पिछले वर्ष के पेपर तैयारी के लिए रडार की तरह होने चाहिए जो आपकी तैयारी को दिशा प्रदान करते हैं। आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने के अलावा पिछले वर्ष के पेपर आपके मानसिक दृष्टिकोण को बनाने में मदद करते हैं। यह आपके विकल्पों को खत्म करने में भी मदद करता है।
मॉक टेस्ट जरूरी परीक्षा की तैयारी के स्तर का मूल्यांकन करने में मॉक टेस्ट काफी मदद करते हैं। सिलेबस को कवर करने के बाद मॉक टेस्ट का प्रैक्टिस किया जाना चाहिए। अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करें और सुधार के लिए कमजोर क्षेत्रों की पहचान करें। मॉक टेस्ट के बाद विश्लेषण एक जरूरी अभ्यास है। अच्छे प्रदर्शन से उत्साह नहीं आना चाहिए और खराब प्रदर्शन से निराशा नहीं होनी चाहिए।
इन बातों का भी ध्यान रखें
● आंसर शीट मिलने के बाद उसमें दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें। नियत स्थान पर अपना अनुक्रमांक, हस्ताक्षर तथा अन्य सूचनाएं अंकित करें।
● प्रश्नपत्र मिलने पर प्रश्नों को हल करने से पहले उसके महत्त्वपूर्ण निर्देशों को पढ़ें। संभव है कि उन निर्देशों में कोई महत्त्वपूर्ण और नई सूचना मिल जाए।
● संपूर्ण प्रश्नपत्र को एक बार सरसरी निगाह से देखने के बाद पुन समय व्यवस्थित करें, जिससे प्रश्नपत्र पूरा करने में समय कम न पड़े।
● प्रश्न पत्र को पढ़ने में जल्दबाजी न करें, बल्कि शांति और धैर्य के साथ इसे दो-तीन बार पढ़ें और सुनिश्चित करें कि वास्तव में क्या पूछा जा रहा है।
● अपने उत्तर की समीक्षा करने और त्रुटियों को ठीक करने के लिए बाद में कुछ समय बचाकर रखें।
● निरीक्षक द्वारा दी जाने वाली अटेंडेंस शीट पर अपने हस्ताक्षर करें तथा अपने आंसर शीट पर निरीक्षक के हस्ताक्षर भी अवश्य करवाएं।
1. दो पेपर, दो रणनीति
परीक्षा भवन में दो घंटों के लिए हर परीक्षार्थी की अपनी रणनीति होती है लेकिन अधिकांश परीक्षार्थी अच्छी तैयारी के बावजूद अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि विषयों की तैयारी के साथ ही परीक्षा भवन के लिए भी पुख्ता रणनीति बनाई जाए। प्रारंभिक परीक्षा में दो पेपर हैं। इनके लिए अलग-अलग रणनीति पर काम करें।
पेपर-1 में 150 प्रश्नों को हल करने के लिए 120 मिनट मिलेंगे। यानी प्रत्येक प्रश्न के लिए 48 सेकेंड। इसी तरह पेपर-2 में 100 प्रश्न 120 मिनट में हल करने हैं। यहां प्रत्येक प्रश्न के लिए 72 सेकेंड मिलेंगे। समय प्रबंधन ऐसे सेट करें कि सभी सवाल कवर हो जाएं।
कई बार परीक्षार्थी जटिल प्रश्न में उलझ कर रहे जाते हैं। कठिन विकल्पों के कारण भी प्रश्नों को हल करने में ज्यादा समय लग जाता है। जिन प्रश्नों के उत्तर पता न हों या जिन पर उधेड़बुन हो, उन्हें निशान लगाकर छोड़ दें। अगर अंत में समय बचे तो उनका उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिए।
सर्वप्रथम वही प्रश्न हल करें जो ज्ञान की सीमा के दायरे में हों और जिनका तय समय में उत्तर दिया जा सके। परीक्षार्थी को इस मामले में यह सावधानी ज़रूर बरतनी चाहिए कि वह कम-से-कम इतने खंडों का चुनाव अवश्य कर लें, जिनसे अधिक-से-अधिक प्रश्न उसके दायरे में आ जाएं।
प्रारंभिक परीक्षा में किसी भी प्रश्न का गलत उत्तर देने पर 0.33 अंक काट दिए जाते हैं। अगर परीक्षार्थी कोई प्रश्न बिना उत्तर दिए छोड़ देता है तो उस पर न तो अंक मिलते हैं, और न ही काटे जाते हैं। इस स्थिति में परीक्षार्थियों को यह कोशिश करनी चाहिए कि अनुमान या तुक्के के आधार पर किसी प्रश्न का उत्तर न दें।
● जनरल स्टडीज (जीएस) के दो प्रश्न पत्र होंगे, जिसमें सभी प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के पूछे जाएंगे।
● दोनों प्रश्न पत्रों की परीक्षा एक ही दिन आयोजित होगी।
● पहला प्रश्न पत्र 200 अंकों का होगा, जिसमें 150 प्रश्न पूछे जाएंगे। दूसरा प्रश्न पत्र 200 अंकों का होगा, जिसमें 100 प्रश्न पूछे जाएंगे।
● मेरिट रैंकिंग में प्रश्न पत्र एक पर विचार किया जाएगा जबकि द्वितीय प्रश्न पत्र क्वालिफाइंग होगा।
● प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक की कटौती की जाएगी। दोनों प्रश्न पत्रों की परीक्षा की अवधि दो-दो घंटे की होगी।
● राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं
● भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
● भारतीय और विश्व भूगोल-भारत और विश्व का भौतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल
● राजनीति और शासन-संविधान, राजनीतिक व्यवस्था, पंचायती राज, सार्वजनिक नीति, अधिकार मुद्दे आदि।
● आर्थिक और सामाजिक विकास-सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल आदि।
● पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन पर सामान्य मुद्दे।
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फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइस ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) में 33 विभिन्न पदों पर भर्ती।

रूपेश कुमार: शिक्षा विशेषज्ञ और लेखक के विषय में।
रूपेश कुमार एक समर्पित शिक्षाविद् और लेखक हैं, जिनके पास शिक्षा के क्षेत्र में वर्षों का अनुभव है। उन्होंने शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर गहन अध्ययन और शोध किया है, और अपने ज्ञान को छात्रों और सहकर्मियों के साथ साझा करने में विश्वास रखते हैं। रूपेश ने शिक्षा की प्रभावी विधियों, शिक्षण तकनीकों और छात्र विकास पर कई लेख और पुस्तकें लिखी हैं। उनका उद्देश्य शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और रोचक बनाना है, ताकि हर छात्र अपनी पूरी क्षमता को प्राप्त कर सके। इस वेबसाइट पर नौकरी और शिक्षा से संबंधित जानकारी दी जाती है। यह सरकारी वेबसाइट नहीं है।
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